बेटियों ने दी पिता को मुखाग्नि अर्थी को कंधा

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अर्थी को कंधा

रूपाली बोली न्यूज, बीकानेर। वक्त बदल रहा है और साथ ही बदल रही है समाज की सोच। शहर में परम्पराओं से हटकर बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया। मृतक का कोई बेटा नहीं था बल्कि दो बेटियां ही थी। शमशान पर उस समय लोगों के आंसू छलक पड़े, जब बेटियों ने श्मशान में रूढ़ीवादी परंपराओं के बंधन को तोड़ते हुए अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। अंतिम संसकार में पहुंचे लोगों ने कहा कि एक पिता के लिए अंतिम विदाई इससे अच्छी और क्या हो सकती हे, जब पुरानी पंरपरा को तोड़ते हुए बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया। बउघ्ी बेटी गजल शर्मा ने अपनी छोटी बहन लावण्या शर्मा के साथ मिलकर अपने पिता को न सिर्फ मुखाग्नि दी, अर्थी को कांधा दिया बल्कि अंतिम संस्कार की हर वह रस्म निभाई, जिनकी कल्पना कभी एक पुत्र से की जाती थी। नवल सागर कुऐं के पास स्थित माजीसा के बास में रहने वाले समाजसेवी कृष्णकुमार उर्फ के.के. शर्मा का हृदय गति रुक जाने के कारण असामयिक निधन हो गया। शर्मा की हार्दिक इच्छा थी कि बेटियाँ ही उनका अंतिम संस्कार करें, अर्थी को कंधा दें। के. के. शर्मा नामचीन एडवोकेट जगदीश गौड़ के दामाद और साहित्यकार मोनिका गौड़ के पति थे। दिवंगत समाजसेवी के.के. शर्मा की अंतिम यात्रा में पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा, न्यास पूर्व अध्यक्ष महावीर रांका, उप महापौर अशोक आचार्य सहित सैंकड़ों की संख्या में गणमान्य लोग शामिल थे।